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TITLE : 26 जनवरी और 15 अगस्त के झंडारोहण में क्या फर्क है..?__ Anjani Kumar (UCP Voice News)

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Published Date : 2024-01-27 07:05:31
Last Updated On :
News Category : 26जनवरीऔर15अगस्तमेंअंतर
News Location ADDRESS : 26 जनवरी और 15 अगस्त के झंडारोहण में क्या फर्क है..?   
CITY : पटना ,
STATE : बिहार , 
COUNTRY : भारत

ONLY TEXT NEWS

SEE BELOW



TITLE : 26 जनवरी और 15 अगस्त के झंडारोहण में क्या फर्क है..?__ Anjani Kumar (UCP Voice News)

DESCRIPTION :
Patna:-
_*26 जनवरी और 15 अगस्त के झंडारोहण में क्या फर्क है..?*_ 

♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️

_भारत में दो दिवसों को राष्ट्रीय पर्व के तौर पर मनाया जाता है ये दो खास दिन हैं-_
 _स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को और गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को कई बार लोग इन दोनों दिवसों के बीच कंफ्यूज़ हो जाते हैं 15 अगस्त और 26 जनवरी के झंडारोहण में भी फर्क है_

 _15 अगस्त को प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं जबकि 26 जनवरी को यह ज़िम्मेदारी राष्ट्रपति की होती है_
_15 अगस्त को प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं जबकि 26 जनवरी को यह ज़िम्मेदारी राष्ट्रपति की होती है_

 _स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त इस दिन को आज़ादी के नाम पर समर्पित किया गया है क्योंकि इसी दिन भारत को गुलामी की जंजीरों से आज़ादी मिली थी_

 _गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को मनाया जाता है 26 जनवरी 1950 को भारत में संविधान लागू किया गया था_

_भारत में इन्हीं दो खास दिवसों पर तिरंगा फहराया जाता है लेकिन स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में अंतर है हर देशवासी को इस बात की जानकारी ज़रूर होनी चाहिए
जानिए 15 अगस्त और 26 जनवरी को फहराए जाने वाले झंडे के बीच का फर्क-_


_*पहला अंतर-*_

_15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है फिर खोल कर फहराया जाता है जिसे ध्वजारोहण कहा जाता है ऐसा 15 अगस्त 1947 की
ऐतिहासिक घटना को सम्मान देने के लिए किया जाता है संविधान में इसे अंग्रेजी में Flag Hoisting (ध्वजारोहण) कहा जाता है_

  _26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है जिसे खोल कर फहराया जाता है संविधान में इसे Flag Unfurling (झंडा फहराना) कहा जाता है_

_*दूसरा अंतर-*_

_15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री जो कि केंद्र सरकार के प्रमुख होते हैं ध्वजारोहण करते हैं क्योंकि स्वतंत्रता के दिन भारत का संविधान लागू नहीं हुआ था वहीं राष्ट्रपति जो कि
राष्ट्र के संवैधानिक प्रमुख होते हैं उन्होंने तब तक पदभार ग्रहण नहीं किया था गणतंत्र दिवस को राष्ट्रपति अपना संदेश राष्ट्र के नाम देते हैं 26 जनवरी को देश में संविधान लागू
होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है इस दिन संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं_


_*तीसरा अंतर-*_

_स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले से ध्वजारोहण किया जाता है वहीं गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर झंडा फहराया जाता है_


_*भारत के राष्ट्रीय प्रतीक*_

_*🇮🇳राष्‍ट्रीय ध्‍वज-*_

_राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में समान अनुपात में तीन क्षैतिज पट्टियां हैं गहरा केसरिया रंग सबसे ऊपर सफेद बीच में और हरा रंग सबसे नीचे है ध्वज की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 है सफेद
पट्टी के बीच में नीले रंग का चक्र है_

_शीर्ष में गहरा केसरिया रंग देश की ताकत और साहस को दर्शाता है बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का संकेत है हरा रंग देश के विकास और उर्वरता को दर्शाता
है_

_इसका प्रारूप सारनाथ में अशोक के सिंह स्तंभ पर बने चक्र से लिया गया है इसका व्यास सफेद पट्टी की चौड़ाई के लगभग बराबर है और इसमें 24 तीलियां हैं राष्ट्रीय ध्वज श्री पिंगली
वेंकैया जी ने डिजाइन किया था भारत की संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज का प्रारूप 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया_

_*भारत का राष्ट्रिय झंडा में अशोक चक्र या धम्म चक्र को लगाने में डॉ बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जी का योगदान--*_ 

_*☸️-अशोक चक्र- ☸️*_

_सम्राट अशोक महान के बहुत से शिलालेखों पर प्रायः एक चक्र (पहिया) बना हुआ है इसे अशोक चक्र कहते हैं यह चक्र धर्मचक्र का प्रतीक है उदाहरण के लिये सारनाथ स्थित सिंह-चतुर्मुख
(लायन कैपिटल) एवं अशोक स्तम्भ पर अशोक चक्र विद्यमान है भारत के राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र को स्थान दिया गया है अशोक चक्र जो भारत के राष्ट्र-ध्वज तिरंगा में स्थित है_
_अशोक चक्र में चौबीस तीलियाँ (स्पोक्स्) हैं वे मनुष्य के अविद्या से दु:ख बारह तीलियां और दु:ख से निर्वाण बारह तीलियां (बुद्धत्व अर्थात अरहंत) की अवस्थाओं का प्रतिक है_
                                                                                                     _*आइये अब अशोक चक्र में दी गयी सभी 24 तीलियों का मतलब (चक्र के क्रमानुसार ) जानते हैं---*_

_*1. पहली तीली :-* संयम (संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देती है)_

_*2. दूसरी तीली :-* आरोग्य (निरोगी जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है)_

_*3. तीसरी तीली :-* शांति (देश में शांति व्यवस्था कायम रखने की सलाह)_

_*4. चौथी तीली :-* त्याग (देश एवं समाज के लिए त्याग की भावना का विकास)_

_*5. पांचवीं तीली :-* शील (व्यक्तिगत स्वभाव में शीलता की शिक्षा)_

_*6. छठवीं तीली :-* सेवा (देश एवं समाज की सेवा की शिक्षा)_

_*7. सातवीं तीली :-* क्षमा (मनुष्य एवं प्राणियों के प्रति क्षमा की भावना)_

_*8. आठवीं तीली :-* प्रेम (देश एवं समाज के प्रति प्रेम की भावना)_

_*9. नौवीं तीली :-* मैत्री (समाज में मैत्री की भावना)_

_*10. दसवीं तीली :-* बन्धुत्व (देश प्रेम एवं बंधुत्व को बढ़ावा देना)_

_*11. ग्यारहवीं तीली :-* संगठन (राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत रखना)_

_*12. बारहवीं तीली :-* कल्याण (देश व समाज के लिये कल्याणकारी कार्यों में भाग लेना )_

_*13. तेरहवीं तीली :-* समृद्धि (देश एवं समाज की समृद्धि में योगदान देना )_

_*14. चौदहवीं तीली :-* उद्योग (देश की औद्योगिक प्रगति में सहायता करना)_

_*15. पंद्रहवीं तीली :-* सुरक्षा (देश की सुरक्षा के लिए सदैव तैयार रहना)_

_*16. सौलहवीं तीली :-* नियम (निजी जिंदगी में नियम संयम से बर्ताव करना )_

_*17. सत्रहवीं तीली :-* समता (समता मूलक समाज की स्थापना करना )_

_*18. अठारहवी तीली :-* अर्थ (धन का सदुपयोग करना)_

_*19. उन्नीसवीं तीली :-* नीति (देश की नीति के प्रति निष्ठा रखना)_

_*20. बीसवीं तीली :-* न्याय (सभी के लिए न्याय की बात करना )_

_*21. इक्कीसवीं तीली :-* सहकार्य (आपस में मिलजुल कार्य करना)_

_*22. बाईसवीं तीली :-* कर्तव्य (अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना)_

_*23. तेईसवी तीली :-* अधिकार (अधिकारों का दुरूपयोग न करना)_

_*24. चौबीसवीं तीली :-* बुद्धिमत्ता (देश की समृधि के लिए स्वयं का बौद्धिक विकास करना)_
                                                                                                          _*अशोक चक्र का इतिहास---*_

_अशोक चक्र सम्राट अशोक के समय से शिल्प कलाओ के माध्यम से अंकित किया गया था धर्म-चक्र का अर्थ तथागत बुद्ध जी ने अपने अनेक प्रवचनों में अविद्या से दू:ख तक बारह अवस्थाये और दू:ख
से निर्वाण (जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति) की बारह अवस्थाये बताई है डॉ बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जी की मौजूदगी मे एक बार संविधान सभा के सामने राष्ट्रिय झंडे का प्रश्न
उपस्थित हुवा सभी सदस्यो ने कई प्रकार के झंडो का विचार करने के लिए कहा हिन्दुओं ने गेरुए रंग को झंडे मे स्थान देने के लिए जोर दिया कुछ ने सुदर्शन-चक्र पर अपनी दलीले पेश की
महात्मा गांधी ने चरखा को महत्व दिया लेकीन डॉ बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जी ने तीनो रंगो को जो का त्यों ही अपनाने पर जोर देते हुए कहा इस झंडे के बीच मे अशोक चक्र को स्थान मिलना
चाहिए  सम्राट अशोक महान  की अमर कीर्ती इसी राज्य चिन्ह के कारण जीवीत है यह राजचिन्ह धर्म निर-पेक्षता और सहनशिलता का प्रतिक है अत्याचार और शोषन विरुध्द लडने का पाठ पडाता है
धम्मचक्र तथागत बुद्ध जी के प्रतीत्य समुत्पाद सिद्धांत का संदेश देता है आज सारे संसार मे ईस धर्म के अनुयायी करोडो की संख्या मे है_

_अगर स्वतंत्र  भारत को अपनी आजादी की रक्षा करनी है तो यह जरुरी है की वह ऎसे चिन्ह को अपनावे जिससे हर भारतिय को अपने प्राचीन गौरव का अनुभव करने का सुअवसर और तथागत बुद्ध कि जन्म
भूमि भारत के नाम को दुबारा उंचा करने की प्रेरणा मिले डॉ बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जी के प्रस्ताव को संविधान सभा ने सर्व संमती से पास किया अशोक के स्तंभ मे धम्मचक्र है यह
शांती और अवैर का प्रतीक है इसके उपर सिंह है यह शक्ति का प्रतीक है यह इस बात को वताता है कि सदाचार की स्थापना तभी हो सकती है जब देश शक्तीशाली हो शीलवान मनुष्य वही बनता है जिसके
मन वाणी और कर्म में सिंह की भी सुदृढता हो स्वतंत्रता समानता  भातृत्व और न्याय की स्थापना सामर्थ्य वान या शक्तिशाली राज्य ही कर सकता है सम्राट अशोक महान के काल मे बौद्ध धम्म
के अनुसार मानवता और समानता की स्थापना की गई थी इसी पवीत्र संदेश के साथ सम्राट  अशोक महान ने अपने दूतो व्दारा सारे संसार मे इस महान धर्म को फैलाया था इसीलिए आजाद भारत ने भी एक
बार फिर सम्राट अशोक महान के पद चिन्हो पर चलने का निर्णय लिया यह डॉ बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जी का महान सुझाव था इसके मान लेने के कारण आज बौद्ध देशो मे भारत का नाम एक बार फिर
आदर के साथ लिया जा रहा है_
                                                                                                                        _*राष्ट्रीय ध्वज पर 10 वाक्य---*_

_हमें अपने राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान पूरी शिद्दत और कर्तव्यनिष्ठा के साथ करना चाहिए तिरंगा झंडा हमारे देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है हमारे राष्ट्रीय पर्वों पर बहुत ही
सम्मान के साथ फहराया जाता है_

_किसी भी राष्ट्र के लिए उसके राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान सर्वोपरि होता है प्रत्येक राष्ट्र का एक राष्ट्रीय ध्वज होता है जो उस राष्ट्र की स्वतंत्रता का प्रतीक होता है हमारे
देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा है जो हमारी आन बान शान सम्मान और मर्यादा का प्रतीक होता है_

_राष्ट्रीय ध्वज पर 10 वाक्य में के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बता रहे हैं जो आपको राष्ट्रीय ध्वज के महत्व को समझने में मददगार साबित होंगी_

_1. भारत देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है_

_2. राष्ट्रीय ध्वज स्वतन्त्रता का प्रतीक होता है_

_3. हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज आयताकार है इसमें तीन रंग है केसरिया  सफेद हरा_

_4. सबसे ऊपर की पट्टी केसरिया रंग की होती है जो साहस वीरता और शौर्य का प्रतीक होती है_

_5. मध्य की पट्टी सफेद रंग की होती है जो शांति शुद्धता और सत्यता का प्रतीक होता है_

_6. नीचे की पट्टी हरे रंग की होती है जो सुख समृद्धि और विकास का प्रतीक होती है_

_7. ध्वज के मध्य में एक चक्र होता है जिसमें 24 तीलियाँ होती हैं जिसे सारनाथ में स्तिथ सम्राट अशोक के राजचिन्ह से लिया गया है_

_8. चक्र हमें निरंतर गति से चलते रहने की प्रेरणा देता है_

_9. हमारे देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होता है कि वह अपने राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करें और उससे आगे बढ़ने की प्रेरणा प्राप्त करे_

_10. तिरंगा भारत देश की आन बान और शान है_

_*🔠राष्ट्रभाषा---*_
_भारत की कोई भी घोषित राष्ट्रभाषा नहीं है भारत सरकार ने 22 भाषाओं को आधिकारिक भाषा के रूप में जगह दी है तथा राज्य सरकारें अपनी आधिकारिक भाषा चुनने के लिए स्वतंत्र हैं केंद्र
सरकार ने अपने कार्यों के लिए हिन्दी और अंग्रेजी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में जगह दी है_

_*🦚राष्‍ट्रीय पक्षी---*_
_भारतीय मोर पावों क्रिस्‍तातुस भारत का राष्‍ट्रीय पक्षी एक रंगीन हंस के आकार का पक्षी पंखे आकृति की पंखों की कलगी आँख के नीचे सफेद धब्‍बा और लंबी पतली गर्दन इस प्रजाति का
नर मादा से अधिक रंगीन होता है जिसका चमकीला नीला सीना और गर्दन होती है और अति मनमोहक कांस्‍य हरा 200 लम्‍बे पंखों का गुच्‍छा होता है मादा भूरे रंग की होती है नर से थोड़ा छोटा और
इसमें पंखों का गुच्‍छा नहीं होता है नर का दरबारी नाच पंखों को घुमाना और पंखों को संवारना सुंदर दृश्‍य होता है_

_*🌷राष्‍ट्रीय पुष्‍प---*_
_निलम्‍बो नूसीपेरा गेर्टन- ( कमल ) भारत का राष्‍ट्रीय फूल है यह पवित्र पुष्‍प है और इसका प्राचीन भारत की कला और गाथाओं में विशेष स्‍थान है और यह अति प्राचीन काल से भारतीय
संस्‍कृति का मांगलिक प्रतीक रहा है_

_भारत पेड़ पौधों से भरा है वर्तमान में उपलब्‍ध डाटा वनस्‍पति विविधता में इसका विश्‍व में दसवां और एशिया में चौथा स्‍थान है अब तक 70 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्रों का सर्वेक्षण
किया गया उसमें से भारत के वनस्‍पति सर्वेक्षण द्वारा 47,000 वनस्‍पति की प्रजातियों का वर्णन किया गया है_

_*🌳राष्‍ट्रीय पेड़---*_
_भारतीय बरगद का पेड़ ( फाइकस बैंगा‍लेंसिस ) जिसकी शाखाएं और जड़ें एक बड़े हिस्‍से में एक नए पेड़ के समान लगने लगती हैं जड़ों से और अधिक तने और शाखाएं बनती हैं इस विशेषता और
लंबे जीवन के कारण इस पेड़ को अनश्‍वर माना जाता है और यह भारत के इतिहास और लोक कथाओं का एक अविभाज्‍य अंग है आज भी बरगद के पेड़ को ग्रामीण जीवन का केंद्र बिन्‍दु माना जाता है और
गांव की परिषद इसी पेड़ की छाया में बैठक करती है_

_*🎵राष्ट्र गान---*_
_भारत का राष्‍ट्र गान अनेक अवसरों पर बजाया जाता है राष्‍ट्र गान के सही संस्‍करण के बारे में समय समय पर अनुदेश जारी किए गए हैं इनमें वे अवसर जिन पर इसे बजाया जाना चाहिए और इन
अवसरों पर उचित गौरव का पालन करने के लिए राष्‍ट्र गान को सम्‍मान देने की आवश्‍यकता के बारे में बताया जाता है सामान्‍य सूचना और मार्गदर्शन के लिए इस सूचना पत्र में इन
अनुदेशों का सारांश निहित किया गया है राष्‍ट्र गान पूर्ण और संक्षिप्‍त संस्‍करण_
_कवि रबीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा जन गण मन के नाम से प्रख्‍यात शब्‍दों और संगीत की रचना भारत का राष्‍ट्र गान है इसे इस प्रकार पढ़ा जाए_

_जन-गण-मन अधिनायक जय हे_
_भारत-भाग्‍य-विधाता_
_पंजाब-सिंधु गुजरात-मराठा_
_द्रविड़-उत्‍कल बंग_
_विन्‍ध्‍य-हिमाचल-यमुना गंगा_
_उच्‍छल-जलधि-तरंग_
_तव शुभ नामे जागे_
_तव शुभ आशिष मांगे_
_गाहे तव जय गाथा_
_जन-गण-मंगल दायक जय हे_
_भारत-भाग्‍य-विधाता_
_जय हे जय हे जय हे_
_जय जय जय जय हे_

_उपरोक्‍त राष्‍ट्र गान का पूर्ण संस्‍करण है और इसकी कुल अवधि लगभग 52 सेकंड है_

_*🛶राष्‍ट्रीय नदी---*_
_गंगा भारत की सबसे लंबी नदी है जो पर्वतों घाटियों और मैदानों में 2,510 किलो मीटर की दूरी तय करती है। यह हिमालय के गंगोत्री ग्‍लेशियर में भागीरथी नदी के नाम से बर्फ के पहाड़ों के
बीच जन्‍म लेती है इसमें आगे चलकर अन्‍य नदियां जुड़ती हैं जैसे कि अलकनंदा यमुना सोन गोमती कोसी और घाघरा गंगा नदी का बेसिन विश्‍व के सबसे अधिक उपजाऊ क्षेत्र के रूप में जाना
जाता है और यहां सबसे अधिक घनी आबादी निवास करती है तथा यह लगभग 1,000,000 वर्ग किलो मीटर में फैला हिस्‍सा है नदी पर दो बांध बनाए गए हैं एक हरिद्वार में और दूसरा फरक्‍का में गंगा नदी
में पाई जाने वाली डॉलफिन एक संकटापन्‍न जंतु है जो विशिष्‍ट रूप से इसी नदी में वास करती है_

_गंगा नदी को हिन्‍दु समुदाय में पृथ्‍वी की सबसे अधिक पवित्र नदी माना जाता है मुख्‍य धार्मिक आयोजन नदी के किनारे स्थित शहरों में किए जाते हैं जैसे वाराणसी हरिद्वार और
प्रयागराज गंगा नदी बंगलादेश के सुंदर वन द्वीप में गंगा डेल्‍टा पर आकर व्‍यापक हो जाती है और इसके बाद बंगाल की खाड़ी में मिलकर इसकी यात्रा पूरी होती है_

_*☸️राष्ट्रीय चिन्ह---*_
_अशोक चिह्न भारत का राजकीय प्रतीक है इसको सारनाथ स्थित राष्ट्रीय स्तंभ का शीर्ष भाग राष्ट्रीय प्रतिज्ञा चिन्ह के रूप में लिया गया है मूल रूप इसमें चार शेर हैं जो चारों
दिशाओं की ओर मुंह किए खड़े हैं इसके नीचे एक गोल आधार है जिस पर एक हाथी के एक दौड़ता घोड़ा एक सांड़ और एक सिंह बने हैं ये गोलाकार आधार खिले हुए उल्टे लटके कमल के रूप में है हर
पशु के बीच में एक धर्म चक्र बना हुआ है राष्‍ट्र के प्रतीक में जिसे 26 जनवरी 1950 में भारत सरकार द्वारा अपनाया गया था केवल तीन सिंह दिखाई देते हैं और चौथा छिपा हुआ है दिखाई नहीं
देता है चक्र केंद्र में दिखाई देता है सांड दाहिनी ओर और घोड़ा बायीं ओर और अन्‍य चक्र की बाहरी रेखा बिल्‍कुल दाहिने और बाई छोर पर घंटी के आकार का कमल छोड़ दिया जाता है प्रतीक
के नीचे सत्यमेव जयते देवनागरी लिपि में अंकित है सत्‍यमेव जयते शब्द जिसका अर्थ है केवल सच्‍चाई की विजय होती है_

_*🦭राष्‍ट्रीय जलीय जीव---*_
_मीठे पानी की डॉलफिन भारत का राष्‍ट्रीय जलीय जीव है यह स्‍तनधारी जंतु गंगा की शुद्धता को भी प्रकट करता है क्‍योंकि यह केवल शुद्ध और मीठे पानी में ही जीवित रह सकता है
प्‍लेटेनिस्‍टा गेंगेटिका नामक यह मछली लंबे नोकदार मुंह वाली होती है और इसके ऊपरी तथा निचले जबड़ों में दांत भी दिखाई देते हैं इनकी आंखें लेंस रहित होती हैं और इसलिए ये केवल
प्रकाश की दिशा का पता लगाने के साधन के रूप में कार्य करती हैं डॉलफिन मछलियां सबस्‍ट्रेट की दिशा में एक पख के साथ तैरती हैं और श्रिम्‍प तथा छोटी मछलियों को निगलने के लिए
गहराई में जाती हैं डॉलफिन मछलियों का शरीर मोटी त्‍वचा और हल्‍के भूरे-स्‍लेटी त्‍वचा शल्‍कों से ढका होता है और कभी कभार इसमें गुलाबी रंग की आभा दिखाई देती है इसके पख बड़े और
पृष्‍ठ दिशा का पख तिकोना और कम विकसित होता है इस स्‍तनधारी जंतु का माथा होता है जो सीधा खड़ा होता है और इसकी आंखें छोटी छोटी होती है नदी में रहने वाली डॉलफिन मछलियां एकल
रचनाएं है और मादा मछली नर मछली से बड़ी होती है इन्‍हें स्‍थानीय तौर पर सुसु कहा जाता है क्‍योंकि यह सांस लेते समय ऐसी ही आवाज निकालती है इस प्रजाति को भारत नेपाल भूटान और
बंगलादेश की गंगा मेघना और ब्रह्मपुत्र नदियों में तथा बंगलादेश की कर्णफूली नदी में देखा जा सकता है_
_नदी में पाई जाने वाली डॉलफिन भारत की एक महत्‍वपूर्ण संकटापन्‍न प्रजाति है और इसलिए इसे वन्‍य जीवन (संरक्षण) अधिनियम 1972 में शामिल किया गया है इस प्रजाति की संख्‍या में
गिरावट के मुख्‍य कारण हैं अवैध शिकार और नदी के घटते प्रवाह भारी तलछट बेराज के निर्माण के कारण इनके अधिवास में गिरावट आती है और इस प्रजाति के लिए प्रवास में बाधा पैदा करते
हैं_

_*⛩️राजकीय प्रतीक---*_
_भारत का राजचिन्ह  सारनाथ स्थित अशोक के सिंह स्तंभ की अनुकृति है जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं
इसके नीचे घंटे के आकार के पदम के ऊपर एक चित्र वल्लरी में एक हाथी चौकड़ी भरता हुआ एक घोड़ा एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं एक ही
पत्थर को काट कर बनाए गए इस सिंह स्तंभ के ऊपर धम्मचक्र रखा हुआ है_

_भारत सरकार ने यह चिन्ह 26 जनवरी 1950 को अपनाया इसमें केवल तीन सिंह दिखाई पड़ते हैं चौथा दिखाई नहीं देता पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काशी में चक्र है जिसके दाईं ओर एक सांड और
बाईं ओर एक घोड़ा है दाएं तथा बाएं छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे हैं आधार का पदम छोड़ दिया गया है फलक के नीचे सत्यमेव जयते देवनागरी लिपि में अंकित है जिसका अर्थ है-                            
                                                                                   सत्य की ही विजय होती है_

_*🗒️राष्‍ट्रीय पंचांग ---*_
 _राष्‍ट्रीय कैलेंडर शक संवत पर आधारित चैत्र इसका माह होता है और ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ साथ 22 मार्च 1957 से सामान्‍यता 365 दिन निम्‍नलिखित सरकारी प्रयोजनों के लिए अपनाया
गया_

_राष्‍ट्रीय कैलेंडर ग्रेगोरियम कैलेंडर की तिथियों से स्‍थायी रूप से मिलती-जुलती है सामान्‍यता 1 चैत्र 22 मार्च को होता है और लीप वर्ष में 21 मार्च को_

_*🐆राष्‍ट्रीय पशु ---*_
_राजसी बाघ तेंदुआ टाइग्रिस धारीदार जानवर है इसकी मोटी पीली लोमचर्म का कोट होता है जिस पर गहरी धारीदार पट्टियां होती हैं लावण्‍यता ताकत फुर्तीलापन और अपार शक्ति के कारण
बाघ को भारत के राष्‍ट्रीय जानवर के रूप में गौरवान्वित किया है ज्ञात आठ किस्‍मों की प्रजाति में से शाही बंगाल टाइगर (बाघ) उत्‍तर पूर्वी क्षेत्रों को छोड़कर देश भर में पाया
जाता है और पड़ोसी देशों में भी पाया जाता है जैसे नेपाल भूटान और बांग्‍लादेश भारत में बाघों की घटती जनसंख्‍या की जांच करने के लिए अप्रैल 1973 में प्रोजेक्‍ट टाइगर बाघ परियोजना
शुरू की गई अब तक इस परियोजना के अधीन 27 बाघ के आरक्षित क्षेत्रों की स्‍थापना की गई है जिनमें                                                                                                          37,761 वर्ग कि.मी. क्षेत्र शामिल है_

_*🎶राष्‍ट्रीय गीत---*_
_वन्‍दे मातरम गीत  बंकिम चन्‍द्र चटर्जी द्वारा संस्‍कृत में रचा गया है यह स्‍वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्ररेणा का स्रोत था इसका स्‍थान जन गण मन के बराबर है इसे पहली
बार 1896 में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के सत्र में गाया गया था 24 जनवरी 1950 को इस गीत को मान्यता प्रदान की गयी थी इसका पहला अंतरा इस प्रकार है-_

_वंदे मातरम् वंदे मातरम्_
_सुजलाम् सुफलाम् मलयज शीतलाम्_
_शस्यश्यामलाम्, मातरम्_
_वंदे मातरम्_
_शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्_
_फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्_
_सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्_
_सुखदाम् वरदाम् मातरम्_
_वंदे मातरम् वंदे मातरम्_

_*🥭राष्‍ट्रीय फल---*__एक गूदे दार फल जिसे पकाकर खाया जाता है या कच्‍चा होने पर इसे अचार आदि में इस्‍तेमाल किया जाता है यह मेग्‍नीफेरा इंडिका का फल अर्थात आम  है जो उष्‍ण कटिबंधी
हिस्‍से का सबसे अधिक महत्‍वपूर्ण और व्‍यापक रूप से उगाया जाने वाला पेड़ है इसका रसदार फल आम विटामिन ए सी तथा डी का एक समृद्ध स्रोत है भारत में विभिन्‍न आकारों मापों और
रंगों के आमों की 100 से अधिक किस्‍में पाई जाती हैं आम को अनंत समय से भारत में उगाया जाता रहा है कवि कालीदास ने इसकी प्रशंसा में गीत लिखे हैं अलेक्‍सेंडर ने इसका स्‍वाद चखा है
और साथ ही चीनी धर्म यात्री व्‍हेन सांग ने भी मुगल बादशाह अकबर ने बिहार के दरभंगा में 1,00,000 से अधिक आम के पौधे रोपे थे जिसे अब लाखी बाग के नाम से जाना जाता है_

_*🏑राष्‍ट्रीय खेल---*__हॉकी इस खेल  की बात आती है तो भारत ने हमेशा विजय पाई है हमारे देश के पास आठ ओलम्पिक स्‍वर्ण पदकों का उत्‍कृष्‍ट रिकॉर्ड है भारतीय हॉकी का स्‍वर्णिम युग
1928-56 तक था जब भारतीय हॉकी दल ने लगातार 6 ओलम्पिक स्‍वर्ण पदक प्राप्‍त किए भारतीय हॉकी दल ने 1975 में विश्‍व कप जीतने के अलावा दो अन्‍य पदक (रजत और कांस्‍य) भी जीते अंतरराष्ट्रीय
हॉकी महासंघ ने 1927 में वैश्विक संबद्धता अर्जित की और अंतरराष्ट्रीय हॉकी संघ (एफआईएच) की सदस्‍यता प्राप्‍त की_
_इस प्रकार भारतीय हॉकी संघ के इतिहास की शुरूआत ओलम्पिक में अपनी स्‍वर्ण गाथा आरंभ करने के लिए की गई इस दौरे में भारत ने 21 मैचों में से 18 मैच जीते और प्रख्‍यात खिलाड़ी
ध्‍यानचंद सभी की आंखों में बस गए जब भारत के कुल 192 गोलों में से 100 गोल उन्‍होंने अकेले किए यह मैच एमस्‍टर्डम में 1928 में हुआ और भारत लगातार लॉस एंजेलस में 1932 के दौरान तथा बर्लिन
में 1936 के दौरान जीतता गया और इस प्रकार उसने ओलम्पिक में स्‍वर्ण पदकों की हैटट्रिक प्राप्‍त की_

_स्‍वतंत्रता के बाद भारतीय दल ने एक बार फिर 1948 लंदन ओलम्पिक 1952 हेलसिंकी गेम तथा मेलबॉर्न ओलम्पिक में स्‍वर्ण पदक जीत कर है‍टट्रिक प्राप्‍त की_
_इस स्‍वर्ण युग के दौरान भारत ने 24 ओलम्पिक मैच खेले और सभी 24 मैचों में जीत कर 178 गोल बनाए (प्रति मैच औसतन 7.43 गोल) तथा केवल 7 गोल छोड़े भारत को 1964 टोकियो ओलम्पिक और 1980 मॉस्‍को ओलम्पिक
में दो अन्‍य स्‍वर्ण पदक प्राप्‍त हुए_

_*💴मुद्रा चिन्ह---*__भारतीय रुपए का प्रतीक चिन्ह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आदान-प्रदान तथा आर्थिक संबलता को परिलक्षित कर रहा है रुपए का चिन्ह भारत के लोकाचार का भी एक रूपक है रुपए
का यह नया प्रतीक देवनागरी लिपि के र और रोमन लिपि के अक्षर आर (R) को मिला कर बना है ₹ जिसमें एक क्षैतिज रेखा भी बनी हुई है यह रेखा हमारे राष्ट्रध्वज तथा बराबर (=) के चिन्ह को
प्रतिबिंबित करती है भारत सरकार ने 15 जुलाई 2010 को इस चिन्ह को स्वीकार कर लिया है_

_₹ यह चिन्ह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुम्बई के पोस्ट ग्रेजुएट डिजाइन श्री डी उदय कुमार ने बनाया है इस चिन्ह को वित्त मंत्रालय द्वारा आयोजित एक खुली प्रतियोगिता में
प्राप्त हजारों डिजायनों में से चुना गया है इस प्रतियोगिता में भारतीय नागरिकों से रुपए के नए चिन्ह के लिए डिजाइन आमंत्रित किए गए थे भारतीय रुपये को एक विशेष प्रतीक मिलने के
बाद अब यह अन्य प्रायद्वीपीय मुद्राओं श्री लंका पाकिस्तान इंडोनेशिया से अलग एवं विशिष्ट बन चुकी है_

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